शारदीय नवरात्रि पर मंदिरों में उमड़ी भक्तों की भीड़
देहरादून। शारदीय नवरात्रि 2025 की शुरुआत सोमवार से हो चुकी है। नवरात्रि के पहले दिन मंदिरों में मां शैलपुत्री की पूजा आराधना होती है। सुबह 4 बजे से मंदिरों में श्रद्धालु पूजा अर्चना के लिए उमड़ रहे हैं। ये क्रम अगले 9 दिनों तक मां के अलग-अलग रूपों की पूजा मंदिरों में की जाएगी। इसके लिए जगह-जगह मां के पंडाल भी सज चुके हैं।
हरिद्वार में भी नवरात्रि को लेकर श्रद्धालु में काफी उत्साह है। लक्सर में मंदिर और पंडाल सज धजकर तैयार हो गए हैं और मां की पूजा अर्चना के लिए लोग काफी संख्या में मंदिरों का रुख कर रहे हैं। लक्सर के जगदंबा मंदिर दुर्गा मंदिर काफी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। मंदिरों में पूजा अर्चना कर लोग मां भगवती के चरणों में माथा टेक खुशहाली का आशीर्वाद ले रहे हैं।
शारदीय नवरात्रि आज सोमवार से शुरू होकर 10 दिन तक चलेंगे। इस बार विशेष नवरात्रि 9 दिन के न होकर 10 दिन के रहेंगे। वहीं इस बाबत दिनेश व्यास पंडित द्वारा बताया गया कि प्रथम दिन शैलपुत्री की पूजा के साथ नवरात्रि की शुरुआत होती है। इस दिन मां भगवती की शैलपुत्री के रूप में पूजा की जाती है। उन्होंने बताया कि इस बार 10 दिन नवरात्रों का उत्सव मनाया जाएगा और भक्त व्रत रखकर महानवमी को व्रत पूर्ण करेंगे। इस बार तृतीया तिथि दो दिन रहने के कारण 10 दिन के पूर्ण व्रत रहेंगे।
शहर के दुर्गा पंडालों में माता की स्थापना से पूर्व क्षेत्र की महिलाओं ने कलश यात्रा निकाली। चौघानपाटा में बने दुर्गा पंडाल से महिलाओं ने पारंपरिक परिधान के साथ कलश यात्रा में हिस्सा लिया। इस दौरान महिलाए भजन एवं माता के जय जयकार करते हुए थाना बाजार सिद्ध नौला से दुर्गा पंडाल में पहुंचे। जहां पर सिद्ध कलश स्थापना की गई। वहीं महिलाओं ने भजन कीर्तन कर माता की आराधना की।
गर्जिया देवी मंदिर में उमड़ी भीड़
नैनीताल। उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में स्थित प्रसिद्ध नैनीताल जीले के रामनगर में स्थित गर्जिया देवी मंदिर में भी श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ा हुआ है। रामनगर से लगभग 14 किलोमीटर की दूरी पर कोसी नदी के बीच एक टीले पर विराजमान गर्जिया माता का मंदिर हर साल नवरात्रि पर लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र बनता है।
गर्जिया मंदिर के पुजारी दिनेश चंद्र पांडे के अनुसार, तड़के 3 बजकर 30 मिनट से ही श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगनी शुरू हो गईं। भोर होते-होते मंदिर परिसर और आसपास का इलाका भक्तों के जयकारों और भजन-कीर्तन से गूंज उठा। श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बन रहा है। हर कोई मां के दर्शन कर नवरात्रि के पहले दिन अपनी मनोकामनाएं पूरी होने की प्रार्थना करता नजर आया। गर्जिया माता को देवी पार्वती का अवतार माना जाता है। मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है। यही कारण है कि उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और नेपाल से भी श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं।
किंवदंती है कि महाभारत काल में राजा विराट ने इस स्थान पर देवी की तपस्या की थी। तभी से इस टीले पर शक्ति की स्थापना हुई। कहा जाता है कि जो भी भक्त सच्चे भाव से यहां मां की आराधना करता है, उसकी झोली कभी खाली नहीं लौटती। स्थानीय किंवदंती के अनुसार हजारों साल पहले एक बड़ा मिट्टी का टीला कोसी नदी के साथ बहकर आया था। इस टीले पर मां गर्जिया देवी विराजमान हुईं, तभी बटुक भैरव देवता ने इस टीले को रोक दिया और इसे स्थायी बना दिया। तभी से गर्जिया माता इस स्थान पर विराजमान है। लोगों का विश्वास है कि गर्जिया देवी हिमालय की पुत्री है और मां पार्वती का दूसरा स्वरूप हैं। भक्त उन्हें अपनी कुलदेवी मानते हैं।
अल्मोड़ा में सजे दुर्गा पंडाल
अल्मोड़ा। सांस्कृतिक शहर में नवरात्रि के पहले दिन से भक्ति की रस धारा बहने लगी है। शारदीय नवरात्रि के लिए शहर के विभिन्न स्थानों में दुर्गा पंडाल सहित बाजार और मंदिरों को सजा दिया गया है। प्रथम नवरात्रि के अवसर पर सुबह से ही मंदिरों में शंख घंटों की आवाज से पूरा क्षेत्र गुंजायमान है। जगह-जगह कलश यात्रा निकाल कर कलश स्थापना की गई है। पंडित राजेश शास्त्री ने बताया कि आज ने नवरात्रि शुरू हो गई है। यह पूर्ण रूप से मां भगवती की आराधना करने के दिन हैं। माता के जगराते, माता की पूजा और माता का श्रृंगार करने से माता सभी की मनोकामना पूरी करती है। उन्होंने कहा कि पूजा करने से मन, तन और वाणी ओजस्वी होती है। वहीं देवी का पाठ और जाप करने से अनिष्ट दूर होते हैं। वहीं शरीर स्वस्थ और ऊर्जावान बन मन को प्रसन्न कार्य है।
शारदीय नवरात्रों को लेकर रुद्रप्रयाग में सजे मां के मंदिर,
रुद्रप्रयाग। शारदीय नवरात्रों को लेकर जिले के माता के मंदिरों में उत्साह का माहौल बना हुआ है। जिले में कालीमठ, कालीशिला, मां मठियाणा, हरियाली देवी, चामुंडा मंदिर संगम, दुर्गा देवी मंदिर दुर्गाधार सहित अन्य प्रसिद्ध मठ-मंदिर हैं, जहां नवरात्री में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।
केदारघाटी के अन्तर्गत भगवती के विभिन्न शक्तिपीठों को भव्य रूप से सजाया गया है। सरस्वती नदी किनारे विराजमान सिद्धपीठ कालीमठ में भी मन्दिर समिति की ओर से शारदीय नवरात्रों को लेकर सभी तैयारियां की गयी हैं तथा देश-विदेश के श्रद्धालुओं ने सिद्धपीठ कालीमठ की ओर रूख कर दिया है।
भगवती राकेश्वरी, सिद्धपीठ कालीशिला सहित सभी शक्तिपीठों में शारदीय नवरात्रांे की तैयारियां की गयी हैं तथा भक्तों मे भारी उत्साह बना हुआ है। शारदीय नवरात्रों से पूर्व मुख्य बाजारों में रौनक लौटी। कालीमठ मन्दिर प्रबन्धक प्रकाश पुरोहित ने बताया कि शारदीय नवरात्रो की सभी तैयारिया हो गयी है तथा भक्तो ने कालीमठ घाटी की ओर रूख कर दिया है। उन्होंने बताया कि सिद्धपीठ कालीमठ मन्दिर परिसर को भव्य रूप से सजाया गया है तथा आगामी समय में सप्तमी, अष्टमी व नवमी पर्व पर होने वाली धार्मिक अनुष्ठान के कार्यक्रम तय किये जायंेगे। पंडित दिनेश गौड़ ने बताया कि सिद्धपीठ कालीमठ को पांच कुन्तल फूलों से सजाया गया है। वेदपाठी रमेश चन्द्र भट्ट ने बताया कि शारदीय व चैत्र नवरात्रों में सिद्धपीठ कालीमठ में पूजा-अर्चना का विशेष महत्व माना गया है। मन्दिर समिति के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी यदुवीर पुष्वाण ने बताया कि सिद्धपीठ कालीशिला में शारदीय नवरात्रों की सभी तैयारियां पूरी कर ली गयी है। प्रधान रासी सोनिया पंवार ने बताया कि शारदीय नवरात्रों में भगवती राकेश्वरी मंदिर में विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया जायेगा, जिनकी तैयरिया पूरी कर ली गयी हैं।


