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उत्तराखंड में स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने के लिये दायर याचिका पर हाईकोर्ट सख्त

देहरादून: पिछले वर्ष पूरे भारत मे कोरोना महामारी व उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं की शिथिलता और पहाड़ में अन्य बीमारियों हेतु भी स्वास्थ्य सुविधाओं के आभाव के दृष्टिगत, अतः प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाने हेतु सामाजिक कार्यकर्ता अभिनव थापर ने माननीय हाईकोर्ट नैनीताल में जुलाई 2021 पर जनहित याचिका पर कोर्ट ने 1 माह के भीतर सरकार से जवाब माँगा था, किंतु आज 1 वर्ष से अधिक बीत जाने के बाद भी सरकार ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया । इस पर याचिकाकर्ता ने विषय को महत्वपूर्ण बताते हुये सुनवाई की अपील करी, जिसका माननीय हाईकोर्ट ने गंभीरता से संज्ञान लिया।

याचिकाकर्ता अभिनव थापर ने हाईकोर्ट के समक्ष मुख्य बिंदु में आवास विभाग की हॉस्पिटल, नर्सिंग होम व स्वास्थ्य सेवाएं देने वाले संस्थान के “वन टाइम सेटलमेंट- OTS- 2021” स्कीम में कमियों व क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट – CEA से संबंधित है। इनके नियमों में शिथिलता से उत्तराखंड में हॉस्पिटल बेड की वर्तमान संख्या को  घटने से रोकना व उनकी संख्या बढ़ाने का भी प्रावधान किया जा सकेगा। याचिका में पहाड़ी क्षेत्र में लिये विशेष शिथिलीकरण की मांग की गई है जिससे प्रदेश के दूरस्थ पहाड़ी क्षेत्रों में स्वास्थ सुविधाओं का अवसर बढ़ सके और पूरे प्रदेश को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिल सके।

उल्लेखनीय है कि देहरादून निवासी अभिनव थापर ने अपने साथियों के साथ मिलकर “कोविड हेल्प सेन्टर, उत्तराखंड- COVID HELP CENTER UK” ग्रुप  व कई अन्य व्हाट्सएप ग्रुप / माध्यमों के द्वारा भी प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर में प्रदेश भर के मरीजों को ऑक्सिजन, हस्पताल में ऑक्सिजन बेड, आई०सी०यू०, वेंटिलेटर, दवाई व सबसे महत्वपूर्ण ” प्लाज्मा व्यवस्था” द्वारा कई प्रकार से मदद पहुँचाने के कार्यों में सहयोग दिया।

जनहित याचिका के माननीय हाईकोर्ट के अधिवक्ता अभिजय नेगी ने बताया कि हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश युक्त पीठ ने इस याचिका के स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ाने के विषय पर सरकार की तरफ से अनदेखी का संज्ञान ले लिया है और सरकार को पुनः नोटिस जारी कर 6 हफ्ते में अपना पक्ष रखने का आदेश दिया।

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