शिक्षा जगत

100 साल पहले शिक्षा की अमर ज्योत जला गए थे श्यामा दत्त शास्त्री

वो कहते हैं ना कि अपने लिए तो हर कोई प्रयास है पर समाज के लिए कुछ करने वाले बहुत कम लोग होते हैं. एक ऐसी सख्शियत जो तन मन धन सब कुछ शिक्षा और समाज सुधार पर न्योछावर कर गए. आज से करीब 115 साल पहले 1 फरवरी 1908 को रुद्रप्रयाग जिले स्थित मयकोटी गांव में क्षेत्र के प्रसिद्ध ज्योतिषी स्व. वासवानंद के घर एक बालक का जन्म हुआ जिनका नाम हुवा श्यामा दत्त.

उम्र के पहले पड़ाव में ही देशभक्ति समाज सुधार का जज्बा इन्हें लोगों से अलग बना बैठा. अपनी पढ़ाई के शुरुआती दौर के बाद यह समाज सुधार के लिए निकल पड़े. बनारस शास्त्री की परीक्षा पास कर लोगों इन्हें शास्त्री जी कहकर पुकारने लगे उस समय आजादी का दौर था, जब देश में एक तरफ अंग्रेजों से मुक्ति का रास्ता खुल रहा था तो दूसरी ओर द्वितीय विश्वयुद्ध की सरगर्मी तेज होने लगी थी श्यामा दत्त शास्त्री शिक्षा नशे छुआछूत बाल विवाह सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया था और पूरे इलाके के युवाओं का ग्रुप तैयार कर युवाओं की एक कैबिनेट तैयार की जिसका नेतृत्व ख़ुद शास्त्री करते रहे.

सन 1946 भारत आजाद होने लगा था और देश के सभी रजवाड़ों का विलय भी करने की तैयारी शुरू हो गई थी. 1946 में श्रीनगर गढ़वाल में जवाहरलाल नेहरू का आगमन हुआ तो शास्त्री अपने युवा ब्रिगेड के साथ नेहरू जी का स्वागत करने पहुंचे. सभी वार्ड नेहरू जी का स्वागत गांधी टोपी और कांग्रेस का बिल्ला पहनकर समारोह में शामिल हुए, शास्त्री ने यहां एक भारत श्रेष्ठ भारत का बड़ा नारा देते हुए जोशीला भाषण दिया है जिसे सुनकर पंडित जवाहरलाल नेहरू प्रभावित हो गए.

नेहरू ने अपने एक सांसद भक्तदर्शन को तत्काल तल्ला नागपुर क्षेत्र में जाकर ग्राउंड रिपोर्ट देने के लिए कहा. भक्त दर्शन नेहरू के निर्देश पर तल्ला नागपुर स्थित मयकोटी गांव आए और वहां उन्होंने विशाल रैली को संबोधित किया इसी दौरान मयकोटी में जूनियर हाई स्कूल खोलने की घोषणा हुई आजादी से पहले उस क्षेत्र में यह मात्र पहला स्कूल था पंडित जवाहरलाल नेहरू के नाम पर इस स्कूल को खोला गया था इसी कारण इस क्षेत्र का नाम जवाहर नगर रखा गया.

विद्यालय की स्थापना के साथ ही शास्त्री जी ने दुर्गाधार में एक विशेष सम्मेलन आयोजित का पोखरी रुद्रप्रयाग मोटर मार्ग का उद्घाटन करवाया यह मोटर मार्ग आज पोखरी-गोपेश्वर मोटर मार्ग नाम से प्रसिद्ध है. जिसे बाद में स्वर्गीय नरेंद्र सिंह भंडारी के द्वारा रोड के चौड़ीकरण का काम करवाया गया. 22 नवंबर 1956 को स्वर्गीय शास्त्री जी का निधन हो गया जाते-जाते उन्होंने भुकुर वाक्य दिया होगी सफलता क्यों नहीं कर्तव्य पथ पर दृढ़ रहो.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button