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अभिनेत्री हिमानी शिवपुरी पहुंची अपने मायके के गांव भटवाड़ी

देहरादून। अपने मायके को गोद लेने के बाद प्रसिद्ध सिने अभिनेत्री हिमानी शिवपुरी पहली बार रुद्रप्रयाग जनपद के भट्टवाड़ी गांव पहुंची। वे यहां गांव की महिलाओं और बच्चों के जीवन को सुधारने के साथ ही बुजुर्गों के कल्याण के लिए काम करेंगी। वह बालिका शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए भी कई योजनाएं तैयार करेंगी। हिमानी शिवपुरी अपने चाचा पीताम्बर दत्त भट्ट एवं अपने भाई हिमांशु भट्ट के साथ अपने मायके भट्टवाड़ी गांव पहुंची। ग्रामीणों ने फूल मालाओं के साथ उनका स्वागत किया। अपने पैत्रिक घर पहुंचकर उन्होंने अपनी चाची एवं ग्रामीण महिलाओं एवं बच्चों से मुलाकात की। उन्होंने बताया कि वे अपने मायके को देखने आये हैं। पचास वर्ष से अधिक का समय हो गया, लेकिन गांव की सूरत नहीं बदल पाई है। कहा कि वे गांव की स्थिति का जायजा लेकर ही यहां के विकास के लिए कार्ययोजना तैयार कर पायेंगी। बताया कि कई सालों पहले उन्होंने भी पहाड़ से पलायन किया था। देवों की कृपा और अपनों के आशीर्वाद से आज वह अभिनय के क्षेत्र में सफलता के कई मुकाम पार कर चुकी हैं। उन्होंने अपने शानदार अभिनय से बॉलीवुड और छोटे पर्दे पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा प्रवासी उत्तराखण्डियों के सम्मेलन में प्रवासियों को अपने गांव की भी शुद्ध लेने का आह्वान किया था। जिससे प्रभावित होकर हिमानी शिवपुरी ने भी अपने मायके भटवाड़ी गांव को गोद लिया है।
उन्होंने बताया कि ग्रामीणों से वार्ता करके पहले गांव को समझने का प्रयास किया है। खासकर उन्होंने महिलाओं और बच्चों से बात की है। क्योंकि गांव में जो परिवार रह गये हैं उनमें ज्यादातर महिलायें ही हैं। कहा कि गांव से लोगों के पलायन का मुख्य कारण रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य है। कहा कि आज उत्तराखण्ड के अधिकांश गांव पलायन की मार झेल रहे हैं। अब भी कई गांव मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे हैं। भले ही सरकारें निरन्तर प्रयास कर रही हैं, लेकिन निष्कर्ष नहीं निकल पा रहा है। उन्होंने प्रवासी उत्तराखण्डियों से अपील की है कि वे भले ही आजीविका के लिए बाहर जायें, लेकिन अपनी जड़ों से जुड़े रहें। हिमानी शिवपुरी अब भटवाड़ी गांव की महिलाओं और बच्चों के जीवन को सुधारने के साथ ही बुजुर्गों के कल्याण के लिए काम करेंगी। उन्होंने कहा कि उनके मायके भटवाड़ी गांव में पलायन की वजह से ज्यादातर परिवारों में सिर्फ बुजुर्ग ही रह गए हैं। ऐसे में वह अपने गांव के लोगों के स्वास्थ्य और अन्य सुविधाओं के लिए काम करेंगी। अभिनेत्री ने अपने मायके भट्टवाड़ी गांव को गोद लेकर एक मिसाल पेश की है। अब वह इस गांव के लोगों के हितों के लिए काम करेंगी, जिससे भटवाड़ी गांव की तस्वीर बदलने की उम्मीद जगी है।

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