”खून और पानी साथ नहीं बह सकते” पाकिस्तान को करारा जवाबः धामी

देहरादून। मुख्यमंत्राी पुष्कर सिंह धमी ने कहा है कि प्रधनमंत्राी नरेंद्र मोदी के कुशल एवं निर्णायक नेतृत्व में हुई सीसीएस बैठक में आतंकवाद के खिलाफ लिए गए ऐतिहासिक और कठोर निर्णय पर अब कार्रवाई प्रारंभ हो चुकी है। इसी क्रम में भारत सरकार ने सिंधु जल संधि पर रोक लगाकर पाकिस्तान को करार जवाब दिया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धमी ने कहा कि प्रधनमंत्री के नेतृत्व में उठाए गए ये साहसिक कदम न केवल आतंकवाद के खिलाफ भारत की जीरो टॉलरेंस नीति पर मुहर लगाते हैं, बल्कि इससे दुश्मनों को भी यह स्पष्ट संदेश गया है कि भारत हर एक आतंकी हमले का मुँहतोड़ जवाब देने का तैयार है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की सिंधु जल संधि पर रोक लगाकर साफ कर दिया है कि अब खूून और पानी एक साथ नहीं बह सकते है। इस निर्णायक फैसले से आतंक को पनाह और बढ़ावा देने वाले पाकिस्तान के मंसूबे चकनाचूर होंगे। इसी तरह अटारी बॉर्डर चेक पोस्ट को बंद करने सहित अन्य फैसलों से भी पाकिस्तान को कड़ा संदेश गया है। यह बात मुख्यमंत्राी पुष्कर सिंह धमी ने सचिवालय में उत्तराखण्ड संस्कृत अकादमी की सामान्य समिति की 10वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड योग, आयुष, ऋषि-मुनियों और संस्कृत की भूमि रही है। राज्य की द्वितीय राजभाषा संस्कृत को राज्य में तेजी से बढ़ावा देने के लिए स्कूल और कॉलेज में संस्कृत में वाद-विवाद, निबंध लेखन, श्लोक प्रतियोगिताएं कराई जाए। संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए जनपदों में नोडल अधिकारी बनाये जाएं। यह सुनिश्चित किया जाए की कि सभी कार्यालयों में नाम पट्टिका संस्कृत भाषा में भी हो। मुख्यमंत्री ने कहा कि संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए जिन राज्यों में अच्छा कार्य हुआ है, उन राज्यों की बैस्ट प्रैक्टिस का अध्ययन कर, राज्य में संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए कार्य किये जाएं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार संस्कृत को जोड़ने के लिए और प्रभावी प्रयास किये जाएं। संस्कृत शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि अभी राज्य के प्रत्येक जनपद के एक गांव में कुल 13 गांवों को संस्कृत ग्राम बनाया जा रहा है। इसे चरणबद्ध तरीके से ब्लॉक स्तर तक विस्तारित किया जायेगा।
उन्होंने राज्य में संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए संस्कृत के छात्रों को छात्रवृत्ति योजना और पुजारियों को प्रोत्साहन योजना जैसी व्यवस्था बनाये जाने का सुझाव दिया। बैठक में समिति के सदस्यों ने सुझाव दिया कि प्रतियोगी परीक्षाओं में संस्कृत के प्रश्न जोड़े जाने चाहिए। संस्कृत में शोध को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। राज्य में संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए बैठक में आगामी कार्ययोजना पर विस्तार से चर्चा हुई। संस्कृत को आम बोलचाल की भाषा बनाने के लिए एक लाख लोगों को चरणबद्ध तरीके से ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से सरल संस्कृत सम्भाषण प्रशिक्षण दिया जायेगा। संस्कृत वेदों के अध्ययन की सुविधा के लिए वेद अध्ययन केन्द्र बनाये जायेंगे। संस्कृत के क्षेत्रा में सराहनीय कार्य करने वाले संस्कृत विद्यालयों को पुरस्कृत किया जायेगा। संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न समसामयिक विषयों पर लघु फिल्म बनाने के लिए प्रतियोगिता का आयोजन किया जायेगा। संस्कृत के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए देश-विदेश के विश्वविद्यालयों, संस्कृत अकादमी, संस्कृत संस्थानों द्वारा चलाये जा रहे कार्यक्रमों, गतिविधियों से सबंधित सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए राज्य में सम्मेलन किया जायेगा। सचिव संस्कृत शिक्षा दीपक कुमार न राज्य में संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए किये जा रहे कार्यों और आगामी योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
बैठक के दौरान दो मिनट का मौन रखकर जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए कायराना आतंकी हमले में मारे गये निर्दाेष लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर प्रमुख सचिव आर.के.सुधांशु, प्रमुख सचिव न्याय प्रदीप पंत, सचिव वी.षणमुगम, कलपति उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार प्रो. दिनेश चन्द्र शास्त्राी, अपर सचिव ललित माहन रयाल एवं समिति के अन्य सदस्य उपस्थित थे।
अटारी बॉर्डर बंद करने समेत अन्य सख्त कार्रवाइयाँ
देहरादून। मुख्यमंत्री ने बताया कि सिंधु जल संधि पर रोक के अलावा, भारत सरकार ने अटारी बॉर्डर चेक पोस्ट को बंद करने जैसे अन्य सख्त फैसले भी लिए हैं, जिससे पाकिस्तान को यह स्पष्ट संदेश गया है कि भारत अब कोई समझौता नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि ये सभी सख्त कदम “आतंकवाद को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन देने वालों के खिलाफ सीधी कार्रवाई“ हैं।