अन्य खबरेंगढ़वाल मंडल

सीबीआई जांच में खुली ऋषिकेश एम्स घोटाले की परतें

देहरादून। ऋषिकेश स्थित एम्स  में 2.73 करोड़ रुपए के घपले का मामला सामने आया है। इस मामले में पूर्व निदेशक समेत कई लोगों पर मुकदमा भी दर्ज हुआ है। आरोप है कि कोरोनरी केयर यूनिट की स्थापना के दौरान बड़े पैमाने पर अनियमितताएं की गईं। कई जरूरी उपकरण और सामग्री खरीदी ही नहीं गई और कागजों पर भुगतान दिखाकर ठेकेदार को अनुचित फायदा पहुंचाया गया। इस पूरे मामले की जांच सीबीआई (सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन) कर रही थी। सीबीआई की जांच में आरोपी की पुष्टि हुई है।
एंटी करप्शन ब्यूरो सीबीआई ने शिकायत मिलने पर इस मामले की जांच शुरू की थी। जांच में पाया गया कि एम्स ऋषिकेश के तत्कालीन निदेशक डा. रविकांत, तत्कालीन एडिशनल प्रोफेसर रेडिएशन ऑन्कोलॉजी डा. राजेश पसरीचा और तत्कालीन स्टोर कीपर रूप सिंह ने ठेकेदार के साथ मिलकर सरकारी धन का दुरुपयोग किया।
जानकारी के मुताबिक, यह ठेका 5 दिसंबर 2017 को दिल्ली की कंपनी को दिया गया था। वर्ष 2019 और 2020 के बीच में सामान की खरीदारी हुई थी। बावजूद इसके 16 बेड की केयर यूनिट एक भी दिन नहीं चली, जिसका लाभ आज तक मरीजों को नहीं मिला। निरीक्षण में यह भी सामने आया कि ठेकेदार प्रो मेडिक डिवाइसेज नई दिल्ली ने न तो तय सामग्री उपलब्ध कराई और न ही निर्माण कार्य पूरा किया। स्टॉक रजिस्टर में इन वस्तुओं की एंट्री दर्ज थी। हैरानी की बात है कि इनमें से कोई भी वस्तु अस्पताल के पास मौजूद नहीं मिली। ऐेसे में जांच के दौरान यूनिट अधूरा और गैर-कार्यात्मक पाया गया।
संयुक्त जांच समिति की रिपोर्ट में साफ कहा गया कि 2.73 करोड़ रुपए की वस्तुएं और सिविल कार्य कभी पूरे हुए ही नहीं। फिर भी इनका भुगतान कर दिया गया। आरोप है कि यह सब तत्कालीन निदेशक डा. रविकांत, डा. राजेश पसरीचा और स्टोर कीपर रूप सिंह की मिलीभगत से किया गया।
दिल्ली के शकरपुर स्थित प्रो मेडिक डिवाइसेज के मालिक पुनीत शर्मा को भी इस धोखाधड़ी का जिम्मेदार पाया गया। हालांकि, जांच के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि शर्मा का निधन हो चुका है। बावजूद इसके उनके फर्म को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप साबित हुआ है।
सीबीआई ने इस पूरे मामले में मुकदमा दर्ज कर लिया है और आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून समेत अन्य धाराओं में कार्रवाई की जा रही है। जांच एजेंसी का कहना है कि यह केवल वित्तीय गड़बड़ी ही नहीं बल्कि संस्थान की साख को भी गहरी चोट पहुंचाने वाला मामला है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button