अन्य खबरेंगढ़वाल मंडल

चमोली गौचर मेले में सात दिनों तक रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।

देहरादून। उत्तराखंड के ऐतिहासिक गौचर मेला का शुभारंभ हो गया है। सीएम धामी ने शुक्रवार को चमोली गौचर मेले का उद्घाटन किया। गौचर मेला सात दिन चलेगा। इन सात दिनों में गौचर मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रम व खेलकूद प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी। मेले के दौरान गौचर बाजार और क्षेत्र का विशेष सौंदर्यीकरण, नगर में पार्किंग, परिवहन, साफ-सफाई एवं सुरक्षा के सभी इंतेजाम किये गये हैं।
बता दें कि गौचर मेला लंबे समय से आयोजित होता आ रहा है। किसी जमाने में इसे उत्तराखंड का सबसे बड़ा मेला माना जाता था।यहां पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ ही खेलकूद प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती थी। इन प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए उत्तराखंड के साथ ही देश के विभिन्न राज्यों से कलाकार और खिलाड़ी गौचर पहुंचते थे। इसके साथ ही यहां का कृषि मेला भी देश भर में प्रसिद्ध था। मेले में बीते वर्षों में लाई गई लौकी और मूली की लंबाई देखकर मेला देखने आए लोग अचंभित रह जाते थे। गौचर मेला ऐतिहासिक व्यापारिक मेले के रूप में जाना जाता है। जिसमें जिले को लोग बढ़-चढ़ कर भाग लेते हैं।
गौचर मेले की शुरुवात तिब्बत की सीमा से लगने वाले 2 जनपदों पिथौरागढ़ व चमोली मे भोटिया जनजाति के लोगों की पहल पर शुरू हुआ। गौचर मेला उत्तराखंड के चमोली जनपद में जीवन की रोजमर्रा की आवश्यकताओं का हाट बाजार और यह हाट बाजार धीरे-धीरे मेले के रूप में परिवर्तित हो गया।
चमोली जनपद में नीती माणा घाटी के जनजातीय क्षेत्र के प्रमुख व्यापारी एवं जागरूक जनप्रतिनिधि स्वर्गीय बाल सिंह पाल,पान सिंह बमपाल , एवं गोविंद सिंह राणा ने चमोली जनपद में भी इसी प्रकार के व्यापारिक मेले के आयोजन का विचार प्रतिष्ठित पत्रकार एवं समाजसेवी स्वर्गीय गोविंद सिंह नोटियाल के समक्ष रखा, गढ़वाल के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर के सुझाव पर 1943 में गौचर में व्यापारिक मेले के आयोजन की शुरुवात की गई,बाद में धीरे-धीरे गौचर मेले ने औद्योगिक एवं सांस्कृतिक रूप धारण कर लिया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button