फीकी रही केजरीवाल की रैली, उत्तराखंड में रेस से बाहर हुई AAP
देहरादून: यूं तो आम आदमी पार्टी की उत्तराखंड में शुरू से नाव डोलने में लगी थी, लेकिन आज जिस तरह से केजरीवाल की देहरादून रैली में कम भीड़ पहुँची उसने यह काफी हद तक साफ कर दिया है कि यहां के लोग कम से कम अभी तो “झांसे की राजनीति” में नहीं आने वाले।
मोदी और राहुल की एक-एक बार रैली दून में हो चुकी है। पीएम मोदी की रैली पहले हुई तो मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के लिए चुनौती थी कि वह राहुल की रैली में भारी भीड़ लाकर भाजपा को जवाब दे और राहुल की रैली के जरिये कांग्रेस ने यह दम दर्शाया भी। ऐसे में खुद के लिए हो हल्ला कर अपने लिए उत्तराखंड में जमीन तलाश रही आप के लिए यह बेहद आवश्यक था कि वह मोदी और राहुल को मजबूती से काउंटर करे।
इसके लिए आज देहरादून में केजरीवाल की भव्य रैली आयोजित किये जाने के दावे पिछले कई दिन से आप कर रही थी लेकिन आज देहरादून के परेड मैदान में हुई केजरीवाल की रैली ने उसके दावों की हवा निकाल दी।
जिस परेड मैदान में भाजपा कांग्रेस 20 हजार(एक व्यवहारिक आकलन, कांग्रेस भाजपा इससे कहीं ज्यादा दावा करते हैं) से ऊपर की भीड़ लेकर पहुँचे तो आज केजरी की रैली में वास्तव में पहली बार परेड मैदान खचाखच भरना तो दूर बल्कि रैली के लिए पंडाल लगा था उसके अंदर तक जगह खाली थी। भले आप कार्यकर्ता व पदाधिकारी अभी ये न स्वीकारें की वो रेस में नहीं है लेकिन उत्तराखंड के लोगों का मिजाज बता रहा है कि चुनावी समर में लड़ाई अंततः भाजपा कांग्रेस में ही है।
वजूद का संकट
उत्तराखंड में केजरीवाल की झाड़ू में नहीं दिख रहा दम। अपने स्टार नेता को लाने के बावजूद परेड मैदान में नहीं पहुँची भीड़। फूटता हुआ दिख रहा आप का गुब्बारा। परेड मैदान की एक तिहाई क्षमता तक भी नहीं भर पाई आप। उत्तराखंड में आप के आगे “वजूद” का संकट हुआ पैदा।