जाने क्या है योग नगरी ऋषिकेश का महत्व
ऋषिकेश: आज पूरी दुनिया नवां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मना रही है। वहीं तीर्थनगरी की यह पहचान यूं ही नहीं बनी बल्कि इसके पीछे योग साधकों की लंबी साधना है। तीर्थनगरी ऋषिकेश आदि काल से ही ऋषि-मुनियों की योग और तप की भूमि रही है। मगर, आधुनिक योग को यहां पुनर्जीवित करने का श्रेय भावातीत ध्यान योग के प्रेणता महर्षि महेश योगी, डा. स्वामी राम जैसे साधकों को जाता है। महर्षि महेश योगी ने तीर्थनगरी में स्वर्गाश्रम क्षेत्र में योग और ध्यान के लिए वर्ष 1960 में शंकराचार्य नगर की स्थापना की थी। महर्षि महेश योगी की वजह से भारत का योग विदेशों तक पहुंचा। उत्तराखंड स्थित ऋषिकेश को योग की राजधानी बनाने का श्रेय भी महर्षि महेश योगी और उनकी 84 कुटिया को जाता है। महर्षि महेश योगी की 84 कुटिया में ब्रिटेन के रॉक बैंड बीटल्स की कई धुनें बनीं, जिन्होंने दुनिया में धूम मचाई।
बीटल्स और महर्षि महेश योगी का क्या था कनेक्शन
महर्षि महेश योगी ने योग को विदेश में एक नई पहचान दी थी। इसी दौर में एक समय ऐसा भी आया था जब ब्रिटेन के रॉक बैंड बीटल्स के सदस्य उनके साथ समय बिताया करते थे। उनके योग और अध्यात्म से मशहूर बैंड बीटल्स के सदस्य इतने प्रभावित हुए कि वह भारत भी आ गए। वर्ष 1968 में यहां पश्चिम का मशहूर बैंड बीटल्स के चार सदस्य जॉन लेनन, पॉल मकार्टनी रिंगो स्टारर व जॉर्ज हैरिसन यहां योग साधना के लिए आए थे। बैंड के सदस्य करीब तीन महीने तक महर्षि महेश योगी की 84 कुटी में रुके थे। इसी वजह से इस कुटी को ‘बीटल्स आश्रम’ के नाम से भी जाना जाता है। अब ये स्थान हर एक विदेशी के लिए जाना पहचाना हो गया है। उस दौर में बीटल्स के आने से ये स्थान विदेशियों का पसंदीदा स्थान बन गया और योग के लिए विदेश में विख्यात हो गया। आज भी विदेशी ऋषिकेश में योग और मेडिटेशन के लिए आते हैं।
समय के साथ ऋषिकेश में योग, ध्यान और मेडिटेशन के नए-नए केंद्र खुलने शुरू हो गए। वर्ष 1980 के दौरान तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने मार्च के प्रथम सप्ताह में ऋषिकेश में अंतरराष्ट्रीय योग सप्ताह की शुरुआत कर योग को नए आयाम देने का काम किया। अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव का यह सिलसिला तब से अनवरत जारी है और आज गंगा के दोनों तटों पर सरकारी और निजी प्रयासों से वृहद रूप ले चुका है।
परमार्थ निकेतन आश्रम की ओर से प्रतिवर्ष होने वाले अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में अब विश्व के सौ से अधिक देशों के योग साधक जुटने लगे हैं। योग की ही महिमा है कि आज तीर्थनगरी का पर्यटन सबसे अधिक योग और वैलनेस पर ही आधारित हो गया है। इतना ही नहीं विदेशों में भी ऋषिकेश के योग शिक्षकों की सबसे अधिक मांग होती है। ऋषिकेश के योग शिक्षक वर्तमान में विश्व के कई देशों में योग का प्रचार प्रसार कर रहे हैं।