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चार धाम यात्रा के लिए चुस्त हुआ पशुपालन विभाग

देहरादून। चारधाम यात्रा को सुरक्षित, सुगम व असुव्यवस्थित बनाने के लिा पशुपालन विभाग घोडे-खच्चरों के स्वास्थ्य परीक्षण में जुट गया है।
चार धाम यात्रा को सुरक्षित, सुगम और सुव्यवस्थित बनाने संबंधी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों के अनुपालन में पशुपालन विभाग घोडे-खच्चरों के स्वास्थ्य परीक्षण में जुट गया है। इसी क्रम में पशुपालन विभाग की रोग अनुसंधान प्रयोगशाला द्वारा श्रीनगर यात्रा में आने वाले घोड़े-खच्चरों के रक्त सीरम की जांच की जा रही है। प्रयोगशाला में ग्लैंडर्स और इक्विन इन्फ्ल्यूजा (ईआई) या हॉर्स फ्लू संक्रमण की जांच हो रही है। अब तक यहां पांच हजार से ऊपर नमूने जांच के लिए पहुंच चुके हैं। यहां बता दें कि यमुनोत्री, केदारनाथ और हेमकुंड साहिब की यात्रा पैदल करनी पड़ती है। यहां तीर्थयात्रियों के आवागमन और सामान ले जाने के मुख्य साधन घोड़े-खच्चर हैं। भारी संख्या में विभिन्न स्थानों से घोड़े-खच्चर यात्रा के दौरान यहां पहुंचते हैं। आंकड़ों के मुताबिक, हर साल चार धाम यात्रा के दौरान केदारनाथ धाम में लगभग आठ हजार, यमुनोत्री धाम में तीन हजार और हेमकुंड साहिब की यात्रा में एक हजार घोड़े-खच्चर आते हैं। ऐसे में उनमें आपस में संक्रमण का खतरा बना रहता है। प्रमुख पड़ावों में पशुपालन विभाग की ओर से पशुओं की फिटनेस देखी जाती है। कुछ वर्ष पूर्व घोड़े-खच्चरों में ग्लैंडर्स और एक्वाइन इन्फ्ल्यूजा सामने आए हैं। ग्लैंडर्स संक्रमण से ग्रसित पशु को आइसोलेट (पृथक) करना व यूथनाइज (इच्छा मृत्यु) मजबूरी हो जाती है, ताकि अन्य पशुओं में यह संक्रमण न फैले। इसे देखते हुए प्रदेश सरकार के निर्देश पर पशुपालन विभाग विभिन्न स्थानों पर स्थापित बैरियर्स पर घोड़े-खच्चरों के रक्त के नमूने ले रहा है। इन नमूनों को जांच के लिए पौड़ी जिले के श्रीनगर स्थित रोग अनुसंधान प्रयोगशाला भेजा जा रहा है। अपर निदेशक गढ़वाल, पशुपालन विभाग डॉ. भूपेंद्र जंगपांगी ने बताया कि पहले नमूनों को जांच के लिए राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र (एनआरसीई) हिसार भेजा जाता था। लेकिन अब यह सुविधा उत्तराखंड में ही उपलब्ध हो रही है। उन्होंने बताया कि चार धाम यात्रा को देखते हुए लैब में युद्धस्तर पर सीरम सैंपल की जांच की जा रही है। सहयोग के लिए एनआरसीई के दो विशेषज्ञ जांच में सहयोग कर रहे हैं। लैब में बागेश्वर, चमोली, रुद्रप्रयाग, पौड़ी, टिहरी, उत्तरकाशी और देहरादून सहित अन्य जिलों से नमूने आ रहे हैं। लैब में जांच हेत 5,662 नमूने आए हैं। इनमें से 3,392 नमूनों की जांच की जा चुकी है। यदि कोई नमूना संदिग्ध संक्रमित निकलता है, तो इसको पुष्टि के लिए रिपीट सैंपल एनआरईसी भेजा जाएगा। यदि किसी भी ग्लैंडर्स की दुबारा पुष्टि होती है, तो उसे इच्छामृत्यु दी जानी पडेगी। वहीं, ईआई संक्रमण पाए जाने पर बीमार पशु को अन्य से अलग (क्वांरटीन) कर दिया जाएगा। 14 दिन बाद उसकी पुनः जांच होगी, स्वस्थ होने पर उसका यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन होगा।

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