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उत्तराखंड के सबसे ऊंचे सस्पेंशन ब्रिज पर लगाई एकता की दौड़

देहरादून। टिहरी झील के ऊपर बने उत्तराखंड के सबसे ऊंचे लंबे सस्पेंशन डोबरा चांठी ब्रिज के ऊपर स्कूली बच्चों ने दौड़ लगाकर सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती मनाई। इस मौके छात्रों ने डोबरा चांठी ब्रिज पर एकता दौड़ लगाई। इसके साथ ही पुल पर रैली भी निकाली गई। सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के मौके पर छात्रों को उनके जीवन से जुड़े किस्से सुनाये गये। साथ ही छात्रों को लौह पुरुष के योगदान की जानकारी भी दी गई।
मसूरी में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने झूलाघर स्थित इंदिरा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम के दौरान कार्यकर्ताओं ने “इंदिरा गांधी अमर रहें” और “सरदार पटेल अमर रहें” के नारे लगाकर दोनों महान नेताओं के प्रति अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कांग्रेस भवन में शहर के अनेक वरिष्ठ नेताओं, कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों ने भाग लिया।
हल्द्वानी में शुक्रवार को पुलिस विभाग की ओर से भव्य रन फॉर यूनिटी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर शहर के विभिन्न विद्यालयों के छात्र-छात्राओं, पुलिस कर्मियों, प्रशासनिक अधिकारियों और आम नागरिकों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य सरदार पटेल के विचारों को जन-जन तक पहुंचाना और राष्ट्रीय एकता, अखंडता व भाईचारे का संदेश देना रहा। हल्द्वानी के पुलिस लाइन मैदान से शुरू हुई इस रन फॉर यूनिटी रैली को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) मंजुनाथ टीसी और एडीएम विवेक राय ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।रुद्रपुर में एसएसपी मणिकांत मिश्रा ने रन फॉर यूनिटी को हरी झंडी दिखाई गई। एकता दौड़ अनाज मंडी से शुरू होते हुए गांधी पार्क में सम्पन्न हुई।
इसके साथ ही देश के दूसरे राज्यों में भी राष्ट्रीय एकता दिवस कार्यक्रम धूमधाम से मनाये जा रहे हैं। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में यूनिटी मार्च वॉकथॉन का आयोजन किया गया। जिसका शुभारंभ सीएम धामी ने किया। ‘लौह पुरुष’ सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के अवसर पर पदयात्रा भी निकाली गई। जिसमें भी सीएम धामी शामिल हुये। इस अवसर पर बड़ी संख्या में उपस्थित लोगों को स्वदेशी उत्पादों का उपयोग करने एवं नशा मुक्त भारत अभियान से जुड़ने का संकल्प दिलाया गया। सरदार वल्लभभाई पटेल भारत की एकता, अखंडता और संकल्प के प्रतीक हैं। स्वतंत्रता संग्राम में उनके अद्वितीय योगदान और अनेकों रियासतों का भारत में विलय कराने में उनकी निर्णायक भूमिका ने उन्हें “लौह पुरुष” के रूप में अमर कर दिया।

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