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श्रीराम केवल भारतवासियों के ही नहीं, अपितु पूरे जगत के सांस्कृतिक पूर्वजः भारती

देहरादून। दिव्य गुरु आशुतोष महाराज की शिष्या कथाव्यास साध्वी दीपिका भारती ने दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा आयोजित सात दिवसीय श्री राम कथा के प्रथम दिवस श्री रामायण महात्मय पर बहुत प्रभावशाली ढंग से प्रकाश डाला। यह विलक्षण कथा 09 से 15 नवंबर 2024 तक सायं 5ः00 से रात्रि 9ः00 बजे तक रामलीला ग्राउंड, डीडीए पार्क, सेक्टर-24, रोहिणी में आयोजित की जा रही है। कथा के प्रथम दिवस कथाव्यास जी ने श्री राम जन्म प्रसंग को बड़े विशेषात्मक ढंग से सभासदों के समक्ष प्रस्तुत किया। भय-प्रकट कृपाला, दीन दयाला की धुन से पूरा पंडाल गूँज उठा, ऐसा लगा मानो सभी श्रद्धालु दिल्ली में नहीं, आयोध्या नगरी में हो। अरुंधति न्याय का हवाला देते हुए साध्वी जी ने महारानी कौशल्या के समक्ष असीम प्रकाश पुंज के मध्य चतुर्भुज रूप में प्रकट हुए भगवान् श्रीराम के प्रागट्य को अंतर्जगत में भगवान् के जागरण के साथ जोड़ा। और साध्वी ने ईश्वर दर्शन को दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की युएसपी बताते हुए बुलंद स्वर में ये कहा कि आज भी राम आते हैं यदि उन्हें शास्त्रीय विधि के द्वारा अपने अंतरघट में आमंत्रित किया जाए।
साध्वी ने रामचरितमानस, रामायण और योग वशिष्ठ की व्याख्या करते हुए बताया कि एक होता है भगवान का पूजन, और दूसरा होता है भगवान का ध्यान। एक है भगवान की आराधना, और दूसरी है भगवान की साधना। दोनों पद्धतियों में अंतर है। साधारण जनमानस मन्दिरों व तीर्थों में जाकर भगवान का पूजन करता है, जिसके परिणामस्वरूप उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। परन्तु ऋषि-मुनि व योगी ने भगवान का ध्यान किया। जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने भगवान के साथ एकरूपता को पाया। आज इस कथा के माध्यम से हम आपको वही शाश्वत ब्रह्मज्ञान प्रदान करने आए हैं जिसकी ध्यान-साधना से आप भी प्रभु श्री राम के साथ एकरूपता को प्राप्त कर पाएंगे। विशिष्ट अतिथि गण की उपस्थिति ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। इस आयोजन के आध्यात्मिक प्रभाव और भव्यता ने उपस्थित सभी भक्तजनों को मंत्रमुग्ध कर दिया। मंच पर दिव्य गुरु आशुतोष महाराज के संगीतकार शिष्यों ने अपनी मधुर वाणी में रामचरितमानस की चौपाइयां और भजनों को प्रस्तुत कर, सभी को भगवान राम की भक्ति में सराबोर किया। इस विलक्षण आयोजन का पहला दिन दिव्य आरती एवं प्रसाद वितरण के साथ संपन्न हुआ।

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