अन्य खबरेंगढ़वाल मंडल

घोड़े-खच्चरों के स्वस्थ संचालन को लेकर पशुपालन विभाग ने कसी कमर

रुद्रप्रयाग। केदारनाथ धाम यात्रा की रीढ़ कहे जाने वाले घोड़े-खच्चरों के स्वस्थ संचालन को लेकर पशुपालन विभाग ने कमर कसी हुई है। इसको लेकर विभाग पूरी तरीके से सतर्क नजर आ रहा है। केदारनाथ यात्रा मार्ग में इस बार जिला प्रशासन के सहयोग से पशुपालन विभाग ने दो चेतक भवनों का निर्माण किया है। ये केदार यात्रा के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। यात्रा मार्ग पर दिन-रात यात्रियों की सेवा में तैनात इन पशुओं के आराम को लेकर ये चेतन भवन काफी मददगार साबित होंगे। साथ ही बारिश से बचने के लिए भी इनका उपयोग हो पाएगा। वहीं केदारघाटी के कुछ गांवों के पशुओं में एक्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस की शिकायत आने पर संचालन पर रोक लगाई थी। इनकी नेगेटिव रिपोर्ट आ गई है और अब इनके संचालन को लेकर भी कार्यवाही गतिमान ह। केदारनाथ यात्रा में पशुपालन विभाग पूरी मुस्तैदी के साथ जुटा हुआ दिखाई दे रहा है।
बता दें कि चारधामों में सबसे कठिन यात्रा बाबा केदारनाथ की है और इस यात्रा में 19 किमी का पैदल मार्ग है, जिसमें घोड़ा-खच्चरों की महत्वपूर्ण भमिका होती है। ये केदार यात्रा की रीढ़ माने जाते हैं। देश-विदेश से यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु घोड़े-खच्चरों से केदारनाथ धाम आते-जाते हैं। पशुओं में एक्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस बीमारी फैलने के बाद पशुपालन विभाग एक्टिव हो गया और विभाग की ओर से जगह-जगह चौकिंग करने के साथ ही गांव-गांव जाकर घोड़े-खच्चरों का फिटनेस किया गया, जिससे बाहर क्षेत्रों से आने वाले घोड़े-खच्चरों पर निगरानी रखी जा सके। साथ ही स्वस्थ घोड़े-खच्चरों की जांच कर उन्हें यात्रा के लिए उपयोग में लाया जा सके। पशुपालन विभाग ने मात्र दो सप्ताह में पांच हजार घोड़े-खच्चरों की जांच कर उन्हें यात्रा मार्ग के लिए रवाना किया है। स्वास्थ्य परीक्षण के दौरान केदारघाटी के कुछ गांवों में 133 पशुओं में एक्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस की शिकायत मिलने पर क्षेत्र के मनसूना, गौंडार, रांसी जग्गी बगवान, बेडुला, राउलैंक, उनियाणा, गिरीया के पांच सौ के करीब घोड़ा-खच्चरों पर रोक लगाई गई और पशुओं की जांच कर रिपोर्ट भेजी गई। आरटीपीसीआर रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद अब इन सभी पशुओं का संचालन किया जाएगा। भारतीय अश्व अनुसंधान संस्थान हिसार ने एक सप्ताह के विश्राम के बाद इन पशुओं को यात्रा मार्ग के लिए प्रयोग में लाने की बात कही है। पशुपालन विभाग की ओर से अब इन पशुओं की एक बार पुनः जांच की जाएगी, जिसके बाद इनका संचालन भी यात्रा मार्ग पर किया जाएगा। अब तक पांच हजार घोडे़-खच्चरों के पंजीकरण किए जा चुके हैं, जिनकी ’ग्लैंडर्स’ एवं एक्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस की जांच हो चुकी है। इनका संचालन यात्रा मार्ग पर करवाने की कार्यवाही चल रही है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button