जल्द पूरा होगा ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन का सपना, बन गया नया रिकॉर्ड
देहरादून: उत्तराखंड में पहाड़ पर रेल का सपना जल्द पूरा होने जा रहा है। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन का कार्य तेजी से चल रहा है। केंद्र की मोदी सरकार और उत्तराखंड सरकार के इस महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट में एल एंड टी की टीम ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए कीर्तीमान गढ़ दिया है।
L&T की टीम ने कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद केवल 26 दिनों में शिवपुरी से ब्यासी के बीच 1,012 मीटर NATM टनलिंग के काम को पूरा कर दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में RVNL पैकेज -2 के तहत ऋषिकेश- कर्णप्रयाग रेलवे लाइन का कार्य L&T की टीम ने कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद केवल 26 दिनों में शिवपुरी से ब्यासी के मध्य 1,012 मीटर NATM टनलिंग को पूरा करके एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस शानदार उपलब्धि के लिए इस काम में लगी पूरी टीम के सभी सदस्यों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी है।
आपको बता दें कि राष्ट्रीय महत्व की परियोजना पर तेजी से काम चल रहा है। दिसंबर, 2025 में इसे पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। हर दिन लगभग 100 मीटर सुरंग बनाई जा रही है। 126 किलोमीटर की इस रेल परियोजना के 9 फेज में 80 एंट्री गेट होंगे। इसमें 50 गेट तैयार हो चुके हैं। इस परियोजना के पूरे होने के बाद कर्णप्रयास से बदरीनाथ का सफर मात्र दो घंटे का हो जाएगा। अभी साढ़े चार घंटे सफर में लगते हैं। इसी तरह ऋषिकेश से बदरीनाथ की यात्रा में भी सिर्फ 4 घंटे लगेंगे। फिलहाल श्रद्धालुओं को 11 घंटे का सफर तय करना पड़ता है।
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन प्रोजेक्ट के तहत 12 स्टेशन, 17 सुरंग और 35 पुल बनाए जाएंगे। इसके अलावा चमोली जिले में गौचर भट्टनगर और सिवाई में रेलवे स्टेशन भी बनने हैं। यहां रेल और रोड ब्रिज बनाने का काम चल रहा है। इस परियोजना के पूरा होने से हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा। इस प्रोजेक्ट के लिए केंद्र सरकार ने करीब 4200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। इस रेल लाइन का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा सुरंग में है। अब तक 17 सुरंगों, 35 पुलों और 12 स्टेशनों का काम पूरा हो चुका है।
वर्ष 2025 में इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद चार धाम यात्रा की तस्वीर पूरी तरह से बदल जाएगी। ऋषिकेश से बदरीनाथ धाम महज चार से साढ़े घंटे में लोग पहुंच पाएंगे। वहीं, चार धाम की यात्रा करने वाले श्रद्धालु कम समय में ही यात्रा पूरी कर पाएंगे। इससे केदारनाथ और यमुनोत्री एवं गंगोत्री तक पहुंचना आसान हो जाएगा।