आपदा विशेषज्ञ और कार्यकर्ता के नाते कोठियाल की सलाह को गंभीरता से लेगी सरकारः चमोली

देहरादून। भाजपा ने दायित्वधारी कर्नल अजय कोठियाल को लेकर वायरल जानकारी पर स्पष्ट किया कि सरकार ने सभी संभव उपायों से थराली में राहत बचाव कार्य संपन्न किए हैं। फिर भी हमारे एक वरिष्ठ और रेस्क्यू में अनुभवी कार्यकर्ता के तथ्यों को पार्टी गंभीरता से लेगी और सरकार भी यथोचित कार्रवाई करेगी। वहीं विपक्ष से भी आग्रह किया, तथ्यों के पूर्णतया निष्कर्ष से पूर्व किसी भी तरह की राजनैतिक बयानबाजी से बचना चाहिए।
पार्टी मुख्यालय में मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए वरिष्ठ विधायक एवं प्रदेश प्रवक्ता विनोद चमोली ने कहा, कर्नल कोठियाल ने थराली आपदा को लेकर जो भी तथ्य कहे हैं उसपर पार्टी गंभीरता से विमर्श करते हुए, जरूरत अनुसार सरकार उस पर निर्णय लेगी। पार्टी का मत स्पष्ट है कि कार्यकर्ता यदि कोई बात कहता है तो नेतृत्व उसे संज्ञान में लेता है है। जहां तक सरकार का प्रश्न है तो उनके पास सूचना एवं आंकड़े जुटाने के कई माध्यम हैं। जब भी कोई आपदा आती है और दुर्भाग्य से आपदाग्रस्त प्रदेश है। सबसे पहले प्राथमिकता होती है, घायलों एवं प्रभावितों की जान बचाना है। दुर्भाग्य से जिन्हें बचाया नहीं जा सका, उनके आंकड़े जुटाने में भी दिक्कत होती है। केदारनाथ आपदा के समय भी सभी ने देखा होगा कि आज तक उस त्रासदी में मृत लोगों का पूरा आंकड़ा स्पष्ट नहीं कहा जा सकता है। कुछ इस तरह की कठिनाइयां थराली आपदा में थी। आंकड़े जुटाने के जो माध्यम हैं, उसमें राहत कार्यों में लगे लोगों को प्राप्त डेड बॉडी होती है। आंकड़े उनके परिजन देते हैं जो घटनास्थल से मिसिंग हैं। इस तरीके से एनडीआरएफ ने एसडीआरएफ के कार्यों से भी सूचना आती है। वहां पर तमाम व्यापारिक क्षेत्र में मौजूद के माध्यम से भी मिसिंग जानकारी बड़ा आधार बनती है। निश्चित तौर पर इस दुर्घटना में भी सब तरह की जानकारी जिला प्रशासन के पास होगी और उसके आधार पर ही एक अंतिम जानकारी सामने आई होगी।
उन्होंने कहा कि कर्नल कोठियाल एक वरिष्ठ कार्यकर्ता होने के साथ आपदा बचाव अभियान के विशेषज्ञ हैं और उन्होंने केदारनाथ आपदा में बहुत काम किया है। लिहाजा विशेषज्ञता के आधार पर उनके पास जो भी अतिरिक्त जानकारी होगी, पार्टी नेतृत्व उनसे चर्चा करेगा। यहां उन्होंने एक और बात स्पष्ट की कि कर्नल कोठियाल एक फौजी हैं, लिहाजा एक सैनिक की भांति उन्हें जो दिखा या लगा, उन्होंने उसे सीधा सीधा कह दिया। चूंकि बहुत प्रशासनिक एवं व्यवहारिक तथ्य भी थे, जिनका जिक्र उन्होंने तत्काल नही किया। लिहाजा उनका यह पूरा बयान एकतरफा सा प्रस्तुत हो गया है। लेकिन हम एक राजनीतिक दल है और हम एक एक कार्यकर्ता के प्रति गंभीर है। निश्चित तौर पर उनसे बात की जाएगी कि किस आधार पर उनके द्वारा आपदा से जुड़े तथ्यों को प्रस्तुत किया गया। उन्होंने उम्मीद करती कि इस पूरे मसले पर सरकार भी गंभीरतापूर्वक विचार करेगी। यदि इससे कहीं भी सुधार की गुंजाइश होगी तो उसपर अवश्य बढ़ा जाएगा।
उन्होंने कांग्रेस के बयानों पर उन्होंने स्पष्ट किया कि एक विपक्षी दल के नाते वे अपनी भूमिका का निर्वहन कर रहे है। लेकिन फिर भी हमारी आग्रह है कि बिना पूरी बात को समझे किसी भी राजनैतिक सामाजिक व्यक्ति को टीका टिप्पणी करने से बचना चाहिए। यह विषय राजनीति का नही है, जो जानकारी में आ रहा है उस पर तो सरकार विचार करेगी ही। एक जिम्मेदार विपक्ष के नाते, इससे अलग भी कोई जानकारी है तो उसे भी प्रक्रिया के तहत उन्हें सामने लाना चाहिए। इसे वावजूद अनर्गल बयानबाजी करने या किसी भी तरह का राजनीतिक स्टंट कर, भ्रम एवं झूठ फैलाने से बचा जाना चाहिए।
धराली आपदा पर कर्नल कोठियाल ने अपनी ही सरकार को घेरा
देहरादून। विश्व आपदा प्रबंधन समिट में कर्नल अजय कोठियाल ने धराली त्रासदी को लेकर ऐसा बयान दिया जिसने पूरे आपदा प्रबंधन ढांचे को झकझोर कर रख दिया। उनका दर्द, उनका गुस्सा और उनका सवाल तीनों ही सीधे-सीधे सिस्टम की नाकामी पर निशाना साधते दिखे।
कर्नल कोठियाल ने मंच से यह कहते हुए पूरा माहौल गंभीर कर दिया कि धराली में 147 लोग मलबे में दबे पड़े है और हम एक को भी नहीं निकाल पाए, हमारा आधुनिक आपदा प्रबंधन तंत्र एक भी व्यक्ति को नहीं निकाल पाया। उन्होंने सेना की तारीफ़ करते हुए कहा कि सेना ने अपने 7 जवानों को निकाल लिया पर बाकी 147 लोगों को हमने ऐसे ही छोड़ दिया। क्या यही हमारी तैयारी है? क्या यही हमारा तंत्र है?”
कर्नल का अगला सवाल और भी तीखा था कि आपदा प्रबंधन विभाग धराली में कैंप क्यों नहीं कर रहा? वैज्ञानिक संस्थान मौके पर क्यों नहीं हैं? इतनी बड़ी घटना के बाद भी तकनीकी समर्थन नदारद क्यों?” उन्होंने आरोप लगाया कि जो टीमें वैज्ञानिक आधार पर काम कर सकती थीं, वे मैदान में दिखीं ही नहीं।
अपने बयान को और कड़ा करते हुए कर्नल कोठियाल ने कहा कि एनडीआरएफ जैसे विशेष प्रशिक्षित बल से लेबर का काम करवाया गया! उन्हें वहीं की मिट्टी हटाने में लगा दिया, जबकि जिन वैज्ञानिक और तकनीकी टीमों की असल ज़रूरत थी, वे मौके पर पहुँची ही नहीं। कोठियाल की यह टिप्पणी सीधे तौर पर आपदा प्रबंधन एजेंसियों की तैयारी और नेतृत्व क्षमता पर सवाल खड़ा करती है। कर्नल का अंतिम बयान सबसे चेतावनी भरा था उन्होंने कहा कि अगर हम अपने ही लोगों को नहीं बचा पा रहे, तो चीन से कैसे टक्कर लेंगे? चीन हिमालय की तरफ बढ़ रहा है और हम पीछे जा रहे हैं। इस बयान ने न केवल राज्य और केंद्र सरकार के आपदा प्रबंधन तंत्र पर सवाल खड़े किए बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े बड़े मुद्दों पर भी ध्यान खींचा।



