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वन आनुवंशिक संसाधनों का संरक्षण और उपयोग’ पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरु

देहरादून। ’वन के आनुवंशिक संसाधनों का संरक्षण और उपयोग’ पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन 18 से 20 नवम्बर 2025 तक वन वनस्पति विज्ञान प्रभाग, वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून द्वारा किया जा रहा है। यह कार्यक्रम ब्।डच्। एक्सटेंशन द्वारा प्रायोजित है, जिसका उद्देश्य उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के वन क्षेत्राधिकारी और वन दरोगा को जंगलों के आनुवंशिक संसाधनों के संरक्षण और उपयोग के बारे में जानकारी प्रदान करना है। कुल 27 अधिकारियों ने इस प्रशिक्षण में प्रतिभाग किया। यह प्रशिक्षण सत्र व्याख्यानों, प्रयोगशाला और क्षेत्रीय दौरे के माध्यम से संरचित किया गया है।
प्रशिक्षण का उद्घाटन सत्र वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून के बोर्ड रूम में आयोजित किया गया और इसकी अध्यक्षता वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून की निदेशक डॉ. रेनू सिंह ने की। उद्घाटन सत्र की शुरुआत वन वनस्पति विज्ञान प्रभाग के प्रमुख डॉ. अनूप चंद्रा के स्वागत भाषण और प्रशिक्षण कार्यक्रम के अवलोकन से हुई। उन्होंने बताया कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम वन अधिकारियों को जंगलों के आनुवंशिक संसाधनों के बारे में जानकारी प्रदान करने और जंगलों का प्रभावी ढंग से संरक्षण और प्रबंधन करने की उनकी क्षमता को बढ़ाने के लिए आयोजित किया जा रहा है।
एफआरआई की निदेशक डॉ. रेनू सिंह ने अपने उद्घाटन भाषण में वानिकी और पर्यावरण के क्षेत्र में क्षमता विकास कार्यक्रमों के माध्यम से वन विभागों और एफआरआई के वैज्ञानिकों के बीच घनिष्ठ सहयोग और ज्ञान साझा करने का आह्वान किया। उन्होंने आनुवंशिक संसाधन संरक्षण से संबंधित कानूनों को लागू करने और आनुवंशिक रूप से मूल्यवान प्रजातियों की कटाई जैसी अवैध गतिविधियों से निपटने के लिए वन अधिकारियों की क्षमता में सुधार करने के लिए प्रशिक्षण के महत्व पर प्रकाश डाला। डी. पी. खाली, डॉ. दिनेश कुमार, डॉ. विपिन प्रकाश, डॉ. ए. पी. सिंह, डॉ. पारुल भट्ट, डॉ. एस. एस. बिष्ट और डॉ. मनीष भंडारी ने उद्घाटन सत्र में अपने-अपने विभागों के अनुसंधान कार्यों का विवरण दिया। आयोजन समिति के सदस्य के रूप में वन वनस्पति प्रभाग के वैज्ञानिक एवं कर्मचारी उपस्थित थे तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. प्रवीण कुमार वर्मा ने किया।

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