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नियमितीकरण को ठोस नीति बनाये जाने की सीएम की घोषणा पूरी न होने से उपनल कर्मचारियों में रोष

देहरादून। उपनल कार्मिकां के नियमितीकरण सम्बन्धी सरकार के स्तर से हो रही उपेक्षा को देखते हुये उत्तराखण्ड उपनल कर्मचारी महासंघ द्वारा उत्तरांचल प्रेस क्लब देहरादून में एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष विनोद गोदियाल ने कहा कि महासंघ वर्ष 2018 से लेकर आज तक लगातार कोर्ट से लेकर रोड तक संघर्ष करते आ रहा जबकि वर्ष 2018 में उत्तराखण्ड हाईकोर्ट द्वारा सरकार को समान कार्य हेतु समान वेतन के साथ चरणबद्ध रूप से नियमितीकरण के आदेश दिये, जिसके खिलाफ तत्कालीन सरकार द्वारा सुप्रीमकोर्ट में एस0एल0पी0 दायर की गयी जोकि 15 अक्टूबर 2024 को सुप्रीमकोर्ट द्वारा खरिज कर हाईकोर्ट का निर्णय यथावत रखा। सरकार के तीन साल बेमिशाल कार्यक्रम में मुख्यमंत्री द्वारा उपनल कर्मचारियों के नियमितीकरण हेतु ठोस नीति बनाये जाने की घोषणा की गयी जोकि आतिथि तक लागू नहीं हो सकी।
गोदियाल ने बताया कि नियमितीकरण हेतु ठोस नीति बनाये जाने की घोषणा पर उपनल कर्मचारियों द्वारा 12 अप्रैल 2025 को मुख्यमंत्री का भव्य सम्मान समारोह कार्यक्रम भी आयोजित किया गया, जिसके दौरान मुख्यमंत्री ने पुनः अतिशीघ्र ठोस नियमावली बना कर कर्मचारियों के नियमितीकरण का भरोसा दिया गया, किन्तु आज भी कर्मचारी स्वयं ठगा महसूस कर रहे हैं,  और आज शासन द्वारा कर्मचारियों को लगातार गुमराह करते हुये बार-बार विभागों से कार्मिंको से सम्बन्धित सूचना मांगे जाने का दिखावा कर लेटलतीफी की जा रही है, जबकि पूर्व में ही सैनिक कल्याण विभाग द्वारा सम्पूर्ण डाटा शासन को उपलब्ध कराया जा चुका है।
गोदियाल ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि 15 अक्टूबर 2025 को सुप्रीमकोर्ट के निर्णय को एक वर्ष होने पर देहरादून में उपनल कर्मिकों द्वारा कैंडिल मार्च का कार्यक्रम किया जायेगा। उन्होंने बताया कि 25 अक्टूबर 2025 से प्रदेश कार्यकारणी द्वारा जिलों का भ्रमण कर आंदोलन की रणनीति तैयार की जायेगी।  और राज्य स्थापना दिवस 09 नवम्बर 2025 तक मांगो पर विचार न होने पर 10 नवम्बर 2025 से नियमितीकरण न होने तक अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन किया जायेगा। उपनल कर्मचारियों का न्यायालय में चल रहे प्रकरण को देखने वाले वरिष्ठ  अधिवक्ता एम सी पंत ने कहा कि सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष कर्मचारियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर कमेटियों का गठन करने का हवाला देते हुये नियमितीकरण प्रक्रिया को ठण्डे बस्ते में डाल दिया जाता रहा है। उन्होंने कहा कि कोर्ट का प्रकरण अलग है और जब तक कोर्ट का निर्णय नहीं आता तब तक व्यक्ति संविधान के तहत अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ने के लिए सक्षम।
उपलन महासंघ प्रदेश महामंत्री विनय प्रसाद ने कहा कि न्यायालयों के आदेशों एवं मुख्यमंत्री की घोषणाओं के बाद भी कई विभागों जैसे (उद्योग, ई0एस0आई0, दून मेडिकल कॉलेज) आादि, से कर्मचारियों को बेवजह हटाया जा रहा है तो कई विभागों में सेवा-विस्तार नही किया जा रहा है वहीं कई विभागों जैसे (उद्योग विभाग, सुशीला तिवाड़ी मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी) के कार्मिकों को मानदेय नही दिया जा रहा है जिससे कार्मिकों के सम्मुख रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो रहा है। इसके अतिरिक्त कई विभागों में कार्मिकों को उपनल से हटा कर निजी एजेसिंयों के माध्यम से सेवायोजित किया जा रहा है जोकि नीति विरूद्ध है। किन्तु महासंघ द्वारा शासन स्तर पर पत्राचार कर कर्मचारियों की उक्त समस्याओं का निस्तारण करते हुये लगभग 700 कर्मचारियों की बहाली की है। प्रेस को संबोधित करते हुए प्रदेश मीडिया प्रभारी प्रदीप सिंह चौहान ने कहा कि उपनल कर्मचारियों ने अपने जीवन का महत्वपूर्ण समय सरकारी में दिया है जो की 15 से 20 वर्षों से विभागों में कार्य कर रहे हैं। सरकार आज उनके भविष्य का खिलवाड़ कर रही है जिसके लिए महासंघ ने आज  लामबंद होकर चरणबद्ध हड़ताल की घोषणा की है।

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