राजनीति

उत्तराखंड : सरकार का भ्रष्टाचार पर हंटर, दो IFS निलंबित, जानिए पूरा मामला

नैनीताल: कार्बेट नेशनल पार्क के कालागढ़ टाइगर रिजर्व वन प्रभाग में अवैध निर्माण और पाखरो में टाइगर सफारी के लिए पेड़ो के अवैध कटान मामले में शासन ने दो आईएफएस अधिकारियों को निलंबित कर दिया। इनमें तत्कालीन मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक और वर्तमान में सीईओ कैंपा की जिम्मेदारी देख रहे जेएस सुहाग और कालागढ़ टाइगर रिजर्व वन प्रभाग के तत्कालीन डीएफओ किशन चंद शामिल है। इसके अलावा सीटीआर के निदेशक राहुल को भी वन विभाग के मुखिया के कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया है।

कार्बेट नेशनल पार्क में नियमों को ताक पर रखकर किए गए अवैध निर्माण और अतिक्रमण के लिए वन विभाग के शीर्ष अधिकारी एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। वन विभाग के मुखिया पद से हटाए गए आइएफएस व वर्तमान जैव विविधता बोर्ड के अध्यक्ष राजीव भरतरी ने तो हाई कोर्ट में सरकार की ओर से दाखिल शपथपत्र के जवाब में प्रति शपथपत्र दे दिया था। इस प्रति शपथपत्र में कार्बेट के निदेशक पर अतिक्रमण व अवैध निर्माण मामले में निर्देश जारी होने के बाद भी कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया है। भरतरी ने खुद पर लगे आरोपों के जवाब में शपथपत्र के साथ 20 पत्र संलग्न किए हैं।

निदेशक राहुल ने भी तत्कालीन पीसीसीएफ भरतरी पर कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया है। इस मामले में कानूनी पेंच यह है कि कार्बेट नेशनल पार्क के निदेशक को जांच करने व कार्रवाई के आदेश देने का अधिकार चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन को है, न कि पीसीसीएफ को। अब शासन के पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ रहे जेएस सुहाग व सीटीआर के कालागढ़ में तैनात तत्कालीन डीएफओ किशन चंद के निलंबन, कार्बेट नेशनल पार्क के निदेशक राहुल को संबद्ध किए जाने से वन महकमे में खलबली है। सुप्रीम कोर्ट की कमेटी के 29 अप्रैल को तय बैठक से पहले हुई इस कार्रवाई को विभाग के जवाब के रूप में भी देखा जा रहा है।

हाई कोर्ट में भरतरी की याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से जवाब दाखिल कर बताया गया था कि कार्बेट नेशनल पार्क में अवैध निर्माण व अतिक्रमण पर कार्रवाई को लेकर निदेशक राहुल की ओर से भरतरी को चार पत्र भेजे गए। लेकिन उन्होंने पत्रों का कोई संज्ञान नहीं लिया और कार्रवाई नहीं की। जबकि भरतरी की ओर से इसका प्रति उत्तर दाखिल कर बताया गया कि उन्होंने कार्रवाई के लिए निदेशक को 20 पत्र भेजे थे, लेकिन निदेशक ने कार्रवाई नहीं की।

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