धर्म-आस्था

उत्तराखंड में यह बसा है “भटके हुए देवता” का मंदिर..

क्या आपने कभी भटके हुए देवताओं के मंदिर के बारे में सुना है…अगर नहीं तो पहुंचिए धार्मिक नगरी हरिद्वार और देख आइये भटके हुए देवता का मंदिर। दरअसल यहां मनुष्य ही है भटका हुआ देवता।

मनुष्य योनि श्रेष्ठ योनि…

मनुष्य योनि श्रेष्ठ योनि है। उसे बुद्धि से सोचने की अद्भुत क्षमता मिली हुई है। इन बातों को ध्यान मे रखकर गायत्री परिवार के संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने शांतिकुंज आश्रम में गायत्री माता के विशाल मंदिर परिसर में यह मंदिर बनवाया। यहां आने वाले साधक इस मंदिर में ध्यान करते हैं।

यहां नहीं है कोई मूर्ति…

आपको सुनकर हैरानी होगी लेकिन यहां सिर्फ और सिर्फ 5 बड़े बड़े आयने (कांच) लगे हैं और उनमें आत्मबोध, तत्वबोध कराने वाले वेद-उपनिषदों के मंत्र लिखे हैं। चारों वेदों के चार महावाक्य जो जीव-ब्रह्म की एकता को बताते हैं, यहां उल्लिखित हैं। साधक यहां आकर सोऽहं से अहम् या आत्मब्रह्म तक के सूत्रों को धारण करते हैं।

आत्मबोध की अनुभूति

कहते हैं यहां आकर साधकों में आत्मबोध की अनुभूति होती है। यहां दर्पण के सामने खड़े होकर स्वयं के स्वरूप को निहार कर अन्तःकरण की गहराई में झांकने का अभ्यास सतत करते रहना चाहिए।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button