जोशीमठ पर मंडरा रहा संकट, 559 मकानों में आईं दरारें..खतरे में ऐतिहासिक शहर का अस्तित्व
पहाड़ी पर बसा जोशीमठ शहर धीरे धीरे करके नीचे जमीन में धंसता जा रहा है. यहां बने ज्यादातर मकानों में दरारें पड़ने लगी हैं. कई घरों के आंगन जमीन के अंदर धंसने शुरू हो गए हैं.

उत्तराखंड का खूबसूरत और ऐतिहासिक शहर जोशीमठ खतरे की जद में है. पहाड़ी पर बसा जोशीमठ शहर धीरे धीरे करके नीचे जमीन में धंसता जा रहा है. यहां बने ज्यादातर मकानों में दरारें पड़ने लगी हैं. कई घरों के आंगन जमीन के अंदर धंसने शुरू हो गए हैं. शहर की सड़कें जगह जगह पर धंस गई हैं. लोग टूटे मकानों में जान खतरे में डालकर रहने को मजबूर हैं. ऐसे में अब यहां स्थिति यह है कि तीन दिनों में करीब 46 मकानों में दरारें आ रहीं हैं.यह हम नहीं नगर पालिका की रिपोर्ट बता रही है.वहीं सिंहधार वार्ड में बदरीनाथ हाईवे पर स्थित दो होटल तिरछे हो गए हैं जिससे यहां भयावता का अंदेशा लगाया जा सकता है.फिर भी सरकार की ओर से यहां सुरक्षा के उपाय नहीं किए जा रहे हैं.
एक साल से नगर में भू-धंसाव हो रहा है.हर दिन मकानों में दरारें आने की संख्या बढ़ रही है.हैरानी की बात यह है कि भू-धंसाव के लोग दहशत में है फिर भी सरकार इस मामले में चुप्पी साधे बैठी है.यहां सुरक्षा के उपाय ही नहीं किए जा रहे हैं.नगर में हो रहे धू-धंसाव को लेकर नगर पालिका हर दिन की रिपोर्ट दर्ज कर रही है.तीन दिन पहले 513 भवनों में दरारें आई थीं जबकि सोमवार को यह संख्या 559 पहुंच गई है.ऐसे में तीन दिन में 46 मकानों में दरारें आ रही हैं.अधिक खतरे की जद में आए 16 परिवारों में से आठ ने मकान छोड़ दिए हैं जबकि आठ अभी भी खतरे के साये में रहने के लिए मजबूर हैं.नगर पालिका की रिपोर्ट के अनुसार गांधीनगर वार्ड में 133, मारवाड़ी में 28, नृसिंह मंदिर के पास 24, सिंहधार में 50, मनोहर बाग में 68, सुनील में 27, परसारी में 50, रविग्राम में 153 और अपर बाजार वार्ड में 26, मकानों में दरारें आई हैं.नगर पालिका अध्यक्ष शैलेंद्र पंवार ने बताया कि जहां भी धू-धंसाव की सूचना मिल रही है वहां तुरंत टीम को भेजकर निरीक्षण कराया जा रहा है.