कुमायूँ मंडल

38 साल बाद घर पहुंचा शहीद चंद्रशेखर का पार्थिव शरीर, श्रद्धांजिल देने उमड़ा जनसैलाब

हल्द्वानी: सियाचिन ग्लेशियर में हिमस्खलन में दबकर शहीद हुए लांसनायक चंद्रशेखर हर्बोला का पार्थिव शरीर 38 साल उनके घर हल्द्वानी पहुंच गया है। पार्थिव शरीर उनके आवास डहरिया पहुंचते ही भारत माता की जयकारों से गूंज उठा । पूरा माहौल गमगीन सा हो गया, शहीद चंद्रशेखर हर्बोला की पत्नी शांति देवी अपने पति के पार्थिव शरीर को देखकर रो पड़ी ।

इस दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शहीद जवान की शहादत को नमन करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित किए तथा परिजनों को ढांढस बंधाया। जवान लांस नायक चंद्रशेखर हरबोला का अंतिम संस्कार पूरे सैनिक सम्मान के साथ रानीबाग के चित्रशिला घाट पर किया जाएगा।

मूल रूप से उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के रानीखेत तहसील अंतर्गत बिन्ता हाथीखुर गांव निवासी लांसनायक चंद्रशेखर हर्बोला 1971 में कुमाऊं रेजिमेंट में भर्ती हुए थे। 29 मई मई 1984 को बटालियन लीडर लेफ्टिनेंट पीएस पुंडीर के नेतृत्व में 19 जवानों का दल ऑपरेशन मेघदूत के लिए निकला था। बर्फीले तूफान में ऑपरेशन मेघदूत में 19 लोग दबे गए थे जिनमें से 14 जवानों का शव बरामद कर लिया गया था, लेकिन पांच जवानों का शव नहीं मिल पाया था जिसके बाद सेना ने चंद्रशेखर के घर में यह सूचना दी थी कि उनकी मौत बर्फीले तूफान की वजह से हो गई है।

उस समय लांसनायक चंद्रशेखर की उम्र 28 साल थी। उसके बाद परिजनों ने बिना शव के चंद्रशेखर हर्बोला का अंतिम क्रिया-कर्म पहाड़ी रीति रिवाज के हिसाब से कर दिया था । लेकिन अब 38 साल बाद चंद्रशेखर का पार्थिव शरीर सियाचीन में खोजा गया है, जो बर्फ के अंदर दबा हुआ था।

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