उत्तराखंड: फर्जी प्रमाणपत्रों से बना सरकारी अध्यापक, अब मिली ये सजा
टिहरी: जो उत्तराखंड पूरे विश्व में अपनी ईमानदारी के लिए जाने जाता हैं, वहीं कुछ लोग ऐसे भी है जो इस पर कलंक बन रहे हैं। कुछ ऐसा ही एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी पाने वाले एक सेवानिवृत्त सरकारी अध्यापक को अदालत ने सात साल की सजा सुनाते हुए 20 हजार का जुर्माना भी लगाया है।
अभियोजन अधिकारी अजय सिंह रावत व सीमा रानी ने जानकारी देते हुए बताया कि आरोपी यूपी बिजनौर ग्राम रामपुर रसरपुर पोओ सिंदरपुर निवासी हरिओम सिंह पुत्र खुशीराम के खिलाफ थाना थत्यूड़ में वादी थत्यूड़ के स्थानीय यशवीर सिंह ने 15 अगस्त, 2018 को आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471 के तहत मामला दर्ज करवाया।
जिसमें बता या गया कि उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के निवासी हरिओम सिंह ने झूठे प्रमाण पत्रों के आधार पर अध्यापक की नौकरी हासिल की है।इस मामले की जांच शुरु हुई। जांच में सामने आया कि हरिओम सिंह ने नियुक्ति के समय जो प्रमाण पत्र जमा किए हैं उनमें कई खामियां हैं। अलग अलग जगहों पर जमा किए गए प्रमाण पत्र भी अलग अलग हैं। इससे हरिओम सिंह पर शक गहराया। इसके साथ ही कई अनिवार्य दस्तावेज लगाए भी नहीं गए हैं। इसके बावजूद हरिओम सिंह को नियुक्ति दे गई।
हरिओम सिंह को प्राथमिक विद्यालय सेंदूल जौनपूर टिहरी गढ़वाल में पहली नियुक्त ली। 31 मार्च 2016 को राजकीय प्राथमिक विद्यालय डांगू जौनपूर टिहरी गढ़वाल से हरिओम सिंह सेवानिवृत भी हो गए। मामले में शिक्षा विभाग ने शिकायत पर आरोपी अध्यापक के प्रमाण पत्रों की जांच भी करवाई। इनमें भी खामियां पाईं गईं। प्रमाण पत्र फर्जी पाये जाने के आधार पर वादी ने स्थानीय थाने में मामला दर्ज करवाया। मामले में अभियोजन पक्ष में जांच में फर्जी पाये गये प्रमाण पत्रों का हवाला दिया। अन्य साक्ष्य भी न्यायालय को दिए। जिसके आधार पर आरोपी को 7 साल कठोर कारावास की सजा सुनाई है।