उत्तराखंड में किसे मिलेगी सत्ता की कमान, ये हैं CM पद के प्रबल दावेदार
उत्तराखंड की राजनीति में चार दिन की सियासी हलचल के बाद आखिरकार मंगलवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दिल्ली से लौटने के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया। शाम सवा चार बजे उन्होंने राजभवन में राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को इस्तीफा सौंपा. नया नेता चुनने के लिए भाजपा विधानमंडल दल की बैठक आज देहरादून में होगी, जिसमें केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के साथ भाजपा के उत्तराखंड प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम मौजूद रहेंगे.
अगर विधायकों के अलावा पार्टी किसी अन्य वरिष्ठ नेता को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपने का मन बना लेती है तो इस स्थिति में केंद्रीय शिक्षा मंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक और भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी की दावेदारी सबसे मजबूत है.हालांकि एक खेमा नैनीताल के सांसद अजय भट्ट के नाम की भी चर्चा कर रहा है.
युवा चेहरे पर विश्वासको !
सीएम पद के लिए सबसे ऊपर नाम चल रहा है पहली बार विधायक बने धन सिंह रावत का। उत्तराखंड भाजपा में संगठन मंत्री रह चुके धन सिंह रावत 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में पहली बार श्रीनगर से विधायक बने हैं. मूल रूप से पौड़ी गढ़वाल के रहने वाले धन सिंह रावत का जन्म सात अक्तूबर 1971 को हुआ था. रावत का राजनीति में प्रवेश छात्र जीवन में ही एबीवीपी (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) के साथ हुआ था। धन सिंह रावत ने राजनीति विज्ञान से पीएचडी की है.
बता दें कि पहली बार विधायक बने धन सिंह रावत एबीवीपी में प्रदेश मंत्री और प्रदेश संगठन मंत्री पद की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। इसके बाद भारतीय जनता पार्टी में भी उन्होंने संगठन मंत्री की जिम्मेदारी निभाई है।
हिंदुत्व कार्ड पर सतपाल फिट
इधर सतपाल महाराज का भी नाम मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल है. महाराज संघ की पसंद बताये जा रहे हैं, क्योंकि महाराज हिंदुत्व पृष्ठभूमि से हैं और उनका राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा कद माना जाता है इसलिए महाराज को भी है जिम्मेदारी मिल सकती हैं. 69 साल के महाराज वर्तमान में संस्कृति पर्यटन सिंचाई मंत्री के पद पर हैं. इससे पहले महाराज कांग्रेस में थे। साल 2014 में सतपाल महाराज भाजपा ‘में शामिल हुए इससे पूर्व वे यूपीए सरकार में रेल मंत्री भी रहे हैं. सतपाल महाराज ने साल 1990 से अपनी कैरियर की शुरुआत की. साल 1996 में सतपाल महाराज लोकसभा पहुंचे और केंद्रीय रेल मंत्री की 1997 में वित्त राज्य मंत्री की जिम्मेदारी संभाली. साल 2009 में सतपाल महाराज फिर कांग्रेस की तरफ से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे. उन्हें पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमिटी ऑन डिफेंस के सदस्य भी बनाया गया.
बलूनी की दावेदारी मजबूत
इधर भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी एवं राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी के नाम को लेकर भी चर्चा प्रबल है. बलूनी के स्वास्थ्य कारणों को छोड़ दिया जाए तो युवाओं और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच बलूनी की मजबूत पैठ मानी जा रही है, इतना ही नहीं केंद्र सरकार के सभी मंत्री एवं पार्टी हाईकमान में भी बलूनी की मजबूत पकड़ हैं लिहाजा अगर बलूनी के स्वास्थ्य कारण आड़े ना आए तो हाईकमान की पसंद अनिल बलूनी भी हैं.
अनुभव और परिपक्वता पर भरोसा
इस रेस में केंद्रीय शिक्षा मंत्री और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रहे डॉ रमेश पोखरियाल निशंक भी पूरी दावेदारी में है. निशंक के पास सरकार चलाने से लेकर मंत्रालय चलाने तक का बड़ा अनुभव है निशंक की टीम बेहद मजबूत मानी जाती है और उन्हें उत्तराखंड का सीएम बनाया जाता है तो यह माना जा रहा है 1 साल में निशंक माहौल बदल सकते हैं. बहरहाल निशंक भी दून पहुँच चुके हैं
कुमाऊं के ब्राह्मण चेहरे पर दांव
वही नैनीताल से सांसद अजय भट्ट इस दौड़ में शामिल है. पिछले कुछ समय से चल रहे घटनाक्रम के बारे कुमाऊं के नाराजगी दूर करने के लिए अजय भट्ट को भी जिम्मेदारी मिल सकती है क्योंकि अजय भट्ट लंबे समय तक पार्टी में प्रदेश अध्यक्ष के साथ ही नेता प्रतिपक्ष के तौर पर भी ज़िम्मेदारी सम्भाल चुके हैं लिहाज़ा वह प्रदेश के सभी हालातों से वाकिफ है. इतना ही नहीं गर उनके नाम पर सहमति बनी तो कुमाऊं की सल्ट विधानसभा से खाली सीट पर भी वह चुनाव लड़ सकते हैं.